लड़ाका स्त्री परेशान, एकतरफा झगडा आखिर कितनी देर तक हो सकता था.
3.
उन्होने नवसाक्षरों के लिए एक किताब लिखी-“ भानसोज की चैती ”! चैती रायपुर के पास भानसोज गांव की लड़ाका स्त्री थी ।
4.
लड़ाका स्त्री शुरू हो गयी, अरे कहां मर गये नासपीटों, कहाँ छिपे हो सब करमजलों, और भयंकर गालियाँ बकना शुरू कर दिया.
5.
अब तो लड़ाका स्त्री के क्रोध का पारावार ना रहा. पलट कर अनगिनत गालियाँ बकते लौट आई. और बहु उसी तरह फिर से घूंघट निकाले चुपचाप खड़ी.
6.
दूसरे दिन नियत समय पर वह लड़ाका स्त्री आ पहुंची, देखे तो आँगन में सिर्फ एक स्त्री घूंघट निकाले खड़ी है, घर में कोई और नहीं है.
7.
पड़ोस की एक स्त्री ने बताया, कल उस लड़ाका स्त्री का तुम्हारे घर लड़ने आने का कार्यक्रम है, सास इसलिए ही सूखी जा रही है, नई बहू के सामने बहुत तमाशा हो जाएगा.